साधु परमेष्ठी के 28 मूलगुण होते हैं 28 Root Characteristics of Saint

 

– महाव्रत ५ Major vows 5

– समिति ५ Carefulness 5

– इन्द्रिय दमन ५ Suppression of senses 5

आवश्यक ६ Necessary 6

– शेष गुण ७ Balance qualities 7

 

नाणं-दंसण-संपन्न, संजमे य तवे रयं।
एवं गुण-समाउत्तं, संजयं साहु-मालवे।।४।।SSu

 

ज्ञान  दर्शन  से संतृप्त, संयम तप सम्मान।
ऐसे गुण से युक्त हो, साधु उसको मान॥२.२४..३३९॥

 

ज्ञान और दर्शन से संपन्न संयम और तप मे लीन संयमी को ही साधु कहना चाहिये।

 

A person who is endowed with (Right) knowledge and (Right) Faith, is engaged in self-restraint and penance, and is endowed truly with all these virtues, should be called a monk. (339)