परीषह Afflictions

 

 

मार्गाच्यवननिर्जरार्थं परिषोढव्या: परीषहा:॥८॥

 

संवर पथ से च्युत नहीं, हो निर्जरा की चाह।
परीषह पर विजय करो, सहना ही है राह॥९.८.३०९॥

 

संवर के मार्ग से च्युत न हो और कर्मों की निर्जरा के लिए परीषहों को शान्तभाव से सहन करना चाहिए ।

 

The afflictions are to be endured to remain on path of stoppage and shedding of karmas.

 

क्षुत्पिपासाशीतोष्णदंशमशकनाग्न्यारतिस्त्रीचर्यानिषद्याशय्याक्रोशवधयाचनाऽलाभरोगतृणस्पर्शमलसत्कारपुरस्कारप्रज्ञाज्ञानाऽदर्शनानि॥९॥

 

भूख, प्यास, ठण्ड व गर्मी, दंशमशक ना जान।
नग्नता, अरति, स्त्री रहे, चर्या, बैठक ध्यान॥

 

शय्या, आक्रोश, वध भी, याचना न स्वीकार।
अलाभ, रोग, शूल, मल, चाह नहीं सत्कार॥

 

प्रज्ञा या अज्ञान हो, अदर्शन का हो भार।
बाईस परीषह जानिये, मुनि ना करे विचार॥९.९.३१०॥

 

भूख, प्यास, ठण्ड, गर्मी, दंशमशक, नाग्न्य, अरति, स्त्री, चर्या, निषद्या, शय्या, आक्रोश, वध, याचना, अलाभ, रोग, तृणस्पर्श, मल, सत्कार-पुरस्कार, प्रज्ञा, अज्ञान, और अदर्शन ये बाईस परीषह है।

 

Following 22 afflictions to be conquered:

  • Hunger
  • Thirst
  • Cold
  • Heat
  • Insect bites
  • Nakedness
  • Aversion
  • Women
  • Discomforts in walking
  • Discomforts in sitting
  • Discomforts in sleeping
  • Scolding
  • Injury
  • Begging
  • Lack of gain
  • Illness
  • Pricking
  • Dirt
  • Reverence and honour
  • Ego of knowledge
  • Ignorance
  • Loss of faith