प्रदेश बंध Bondage of Karmic Particles
नाम प्रत्यया: सर्वतो योगविशेषात्सूक्ष्मैकक्षेत्रावगाहसिथिता: सर्वात्मप्रदेष्वनन्तानन्तप्रदेशा:॥२४॥TS
प्रदेश बंध को समझ ले, एकक्षेत्रअवगाह।
आत्मा कर्म मिले जुले, योग से मिलती राह॥८.२४.२९९॥
ज्ञानावरणादि कर्म प्रकृतियों के कारण, सर्व तरफ़ से योग विशेष से सूक्ष्म एकक्षेत्रअवगाहरुप स्थित और सर्व आत्म प्रदेशों में जो कर्म पुद्गल के अनन्तानन्त प्रदेश है सो प्रदेश बंध है।
The minute karmic molecules of infinite times and infinite space points always pervade in a subtle form the entire space points of soul in every birth.