ईर्या समिति Carefulness in Walking

 

फासुय-मग्गेण दिवा, जुगंतर-प्पेहिणा सकज्जेण।
जंतूणि परिहरंते-णिरिया-समिदी हवे गमणं।।१३।।SSu

 

चार हाथ तक देख के, पथ  चलता जब काम।
ध्यान जीव हिंसा रहे, ईर्या समिति अंजाम॥२.२६.१३.३९६॥

 

कार्यवश दिन मे प्रासुक मार्ग (जिस पर पहले से आवागमन है) पर चार हाथ भूमि को आगे देखते हुए जीवों को बचाते हुए चलना ईर्या समिति है।

 

Iryasamiti consists in walking along a trodden path during day-time when required to move out for any work, looking ahead to a distance of four cubits and avoiding the killing of tiny living creatures. (396)

तहेवुच्चावया पाणा, भत्ताट्ठाए समागया।
त-उज्जुयं न गच्छेज्जा, जयमेव परक्कमे।।१५।।SSu

 

जीव जन्तु जब राह में, भोजन की है चाह।
पास कभी ना जाइये, भय से वो गुमराह॥२.२६.१५.३९८॥

 

नाना प्रकार के जीवजन्तु चारे दाने के लिये राह मे होते है, साधु को उनके सामने भी नही जाना चाहिये ताकि वे भयग्रस्त हो।

 

  1. While walking, proper care should be taken so as to avoid confrontation with the animals, birds and various other living beings which gather on the way, in search of food-in order to save them from being fear struck (terror-struck). (398)