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सामायिक प्रतिमाधारी Current Image Holder

 

चतुरावर्त्तत्रितयश्चतु:प्रणाम: स्थितो यथाजात:।
सामयिको द्विनिषद्यस्त्रियोगशुद्धस्त्रिसन्ध्यमभिवनदी॥१३९॥RKS

 

तीन आव्रत चार दिशा में, सामायिक नवकार।
त्रिसंध्या वन्दन करे, चिन्तामुक्त विचार॥७.४.१३९॥

 

सामायिक प्रतिमाधारी चारो दिशाओं में तीन तीन आव्रत करता है, चार प्रणाम करता है, कायोत्सर्ग में खड़ा होता है, बाहरी भीतरी चिन्ताओं से मुक्त यथायोग्य वस्त्र आदि की त्यागी होता हैं, सामायिक के आदि और अन्त में दो बार बैठ कर नमस्कार करता हैं, मन, वचन व काय से शुद्ध तीनों संध्याओं में वन्दना करता हैं।

 

Samayik Shravak while doing samayik in kayotsarg turns around in four directions and performs three aavart and four salutations, who is unattached internal and outer worries and possessions, does two salutes while in sitting postures, who keeps mind, body and speech in control and perform this kind of samayik 3 times in sandhyakal.

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