निदान Desire for Gains

 

निदानं च॥३३॥

 

भविष्य की चिंता रहे, चित्त निरन्तर ध्यान।
आर्तध्यान निदानज है, जिनवाणी का ज्ञान॥९.३३.३३४॥

 

भविष्यकाल संबंधी विषयों की प्राप्ति में चित्त को तल्लीन कर देना निदानज आर्तध्यान है।

 

Concentration on future enjoyments is called ‘future desires sorrowful meditation”.