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नि:शंकित Doubtless
सम्मा-दिट्ठी जीवा, णिस्संका होंति णिबभया तेण।
सत्त-भय-विप्प-मुक्का, जम्हा तम्हा दु णिस्संका।।१४।।SSU
सम्यक दृष्टि जीव नि:शंक, हो निर्भय का भाव।
सातों भय से मुक्त रहे, नि:शंक यही स्वभाव॥२.१८.१४.२३२॥
सम्यग्दृष्टि जीव शंकारहित होते है इसलिये निर्भय होते है। वे सात प्रकार के भयों से रहित होते है। इस लोक का भय, परलोक भय, असुरक्षित भय, अगुप्ति भय, मृत्यु भय, वेदना भय और अकस्मात भय।
The Right believing souls are doubtless (non sanka): that is why they are fearless also.They are free of seven kinds of fears: 1. Fear of this world: 2. Fear of the world beyond 3. Fear of Insecurity: 4. Fear of indiscipline: 5. Fear of Death: 6. Fear of pain: and 7. Fear of incapability Hence they are doubtless. (232)
इदमेवेदृशमेव, तत्त्वं नान्यन्न चान्यथा ।
इत्यकम्पायसाम्भोवत् सन्मार्गेऽसंशया रुचि:॥११॥ RKS
है यही पर अन्य नहीं, तत्त्व मोक्ष का ज्ञान।
पानी ज्यूँ तलवार पर, नि:शंकित अंग है जान॥
तत्त्व स्वरुप और मोक्षमार्ग के विषय में लोहे की तलवार पर चढ़े हुए लोगे के पानी के समान अटल श्रद्धा होना की यह ही है, ऐसा ही है, अन्य नहीं है और अन्य प्रकार भी नहीं है, यही नि:शंकित अंग है।
Having unshakable faith like the unwavering lustre of the sharp edge of sword, in the nature of substances explained in Jain agam is called Nishankit anga.
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