गतिशीलता से भेद From Mobility Point of View
– स्थावर Immobile living beings
– त्रस Mobile living beings
संसारिणस्त्रसस्थावरा:॥१२॥
संसारी के है भेद दो, त्रस व स्थावर जान।
स्थितपना स्थावरा, बाक़ी को त्रस मान॥२.१२.४५॥
संसारी जीव के दो और भेद है। त्रस व स्थावर।
Transmigrating souls have two more types. Sort of immobile and have mobility.
पुढवि-जल-तेय-वाऊ-वणप्फदी विविह-थावरेइंदी।
बिगि-तिग-चदु-पंचक्खा, तसजीवा होंति संखादी।।२७।।
जल-अग्नि वायु वनस्पति भू, जड़ एक इन्द्रिय जीव।
द्वि त्री चतु पंचेन्द्रिय, त्रस शंखादि सजीव॥३.३५.२७.६५०॥
संसारीजीव भी त्रस और स्थावर दो प्रकार के है। पृथ्वीकायिक, जलकायिक, तेजकायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक ये सब एकेन्द्रिय और स्थावर जीव है। शंख, पिपीलिका (चींटी), भ्रमर तथा मनुष्य–पशु आदि क्रमश: द्वीन्द्रिय, त्रिन्द्रिय, चतुरन्द्रिय व पंचेन्द्रिय त्रस जीव है।
The mundane souls are of two kinds: 1. One sensed immobile animate beings (Sthavar); and 2. Many sensed animate beings (tris). The earth bodied (Prithvi kayek), water bodied (Jal-kayik) fire bodied (Tej-kayik) air bodied (Vanaspati-kayik) are all one sensed immobile impure souls (Sthavar-Jiva) conch shell (Shankh), ant/termite (pripilika) black bee (Bhramar) and animals or men (manusya/pashu) etc. are respectively two sensed three sensed four sensed and five sensed (i.e. many sensed) impure souls (trisa-jiva). (650)