रसपरित्याग Giving up Stimulating And Delicacies

 

 

खीर-दहि-सप्पिमाई, पणीतं पाणभोयणं।
परिवज्जणं रसाणं तु, भणियं रसविवज्जणं।।१२।।SSu

 

घी दूध या हो दही, पौष्टिक भोजन त्याग।
रसपरित्याग तप यही, साधु करे ना राग॥२.२८.१२.४५०॥

 

दूध दही घी आदि पौष्टिक भोजन के त्याग को रस परित्याग नामक तप कहा गया है।

 

A monk who avoids delicious food like milk, curds, butter and taking his food on leaf, practises the penance of rasaparityaga (renunciation of delicious dishes). (450)