मुक्त Liberated Souls
सो तम्मि चेव समये, लोयग्गे उड्ढगमणसब्भाओ।
संचिट्ठइ असरीरो, पवरट्ठ गुणप्पओ णिच्चं।।२॰।।SSu
स्थान अयोगी जब मिले, ऊर्ध्वगमन स्वभाव।
देह न आठ गुण सहित, सिद्ध लोक ठहराव॥२.३२.२०.५६५॥
इस चौदहवे केवलस्थान को प्राप्त कर लेने के बाद उसी समय ऊर्ध्वगमन स्वभाव वाला वह अयोगीकेवली अशरीरी तथा उत्कृष्ट आठ गुण सहित सदा के लिये लोक के अग्रभाग मे चले जाते है उसे सिद्ध कहते है।
Having reached the fourteenth stage of the vibrationless pure and perfect soul (Ayoga-kevali Gunasthan), the soul becomes bodiless is associated with eight supreme attributes; and goes to the summit of the universe. Such souls are called “Siddhas”.
(565)
अट्ठ-विह-कम्म-वियडा सीदीभूता णिरंजणा णिच्चा।
अट्ठगुणा कय-किच्चा, लोयग्ग-णिवासिणो सिद्धा।।२१।।SSu
आठ कर्मों से रहित, नित्य निरंजन आस।
आठ गुण कृतार्थ सह, सिद्ध लोक निवास॥२.३२.२१.५६६॥
सिद्ध जीव अष्टकर्मो से रहित, सुखमय, निरंजन, नित्य, अष्टगुणसहित तथा कृतकृत्य होते है और सदैव लोक के अग्रभाग में निवास करते है।
“Siddhas” (pure and perfect souls are free of eight karmas, blissful (sukh-maya), spotless (Niraijan/untainted), Eternal (Nitya) and full of eight attributes. Having attained their aims, they permanently dwell on the summit of the universe.(566)