सासादनसम्यग्दृष्टि Lingering Right Belief
सम्मत्त-रय-पव्वय-सिहरादो, मिच्छ-भूमि समभिमुहो।
णासिय-सम्मत्तो सो, सासण-णामो मुणेयव्वो।।५।।SSu
कार्य कुशलता के लिए,संस्था करे प्रयास।
कर्मठ होने का मिले,कर्मी से विश्वास॥३.३२.५.५५०॥
सम्यक्त्व के अभाव मे जो मिथ्यात्व की ओर मुड़ गया है लेकिन मिथ्यात्व मे प्रवेश नही किया है उस मध्यवर्ती अवस्था को सासादन गुणस्थान कहा है।
The soul falls down from the peak of the mountain of right faith, with his face towards the plain of wrong faith, and has his right-faith destroyed – this stage of soul is called sasvadana, i.e., having taste of right faith. (550)