विविक्तशय्यासन Lonely Habitation
एगंत-मणावाए, इत्थी-पसु-विवज्जिए।
सयणासण-सेवणया, विवित्त-सयणासणं।।१३।।SSu
स्थान चुने एकान्त सा, वर्जित नर और नार।
शयनासन करके ग्रहण , प्रतिसंलीनता विचार॥२.२८.१३.४५१॥
एकान्त तथा स्त्री–पुरुषादि से रहित स्थान मे शयन व आसन ग्रहण करना विविक्त–शयनासन (प्रतिसंलीनता) नामक तप है।
The “vivikta-sayyasan-tapa” of a saint consists of his sitting and sleeping in a lonely place, devoid of men and women, which is (most often) not visited by persons (Anapta). (451)