सम्यग्मिथ्यादृष्टि Mixed Belief

 

 

दहि-गुड-मिव वा-मिस्सं, पिहु-भावं णेव कारिदुं सक्कं।
एवं मिस्सय-भावो, सम्मामिच्छो त्ति णायव्वो।।६।।SSu

 

गुड़ दही जिस तरह मिले, अलग नही कर पाय।
सम्यक् मिथ्या जब मिले, स्थान मिश्र कहलाय॥२.३२.६.५५१॥

 

दहीऔर गुड़ के मेल के स्वाद की तरह सम्यक्त्व और मिथ्यात्व का मिश्रित भाव जिसे अलग नही किया जा सकता, मिश्र गुण स्थान कहलाता है।

 

  1. The mixed thought nature of Righteousness (Sainykatva) and wrong faith (Methyatva) that can not be separated and is like the taste of curd and Raw sugar is called mixed stage of spiritual development (Misra-Gunasthan). (551)