पर्यायार्थिक Modal Stand Point
जो एयसमयवट्टी, गिह्णइ दव्वे धुवत्तपज्जायं।
सो रिउसुत्तो सुहुमो, सव्वं पि सद्दं जहा खणियं ॥17॥SSu
यः एकसमयवर्तिनं, गुह्णाति द्रव्ये ध्रु वत्वपर्यायम्।
स ॠजुसूत्रः सूक्ष्मः, सर्वोऽपि शब्दः यथा क्षणिकः ॥17॥
वर्तमान ही ग्रहण करे, हर पल होता नाश ।
सूक्ष्मॠजुसूत्र नय यही, क्षण ही सबका वास ॥4.39.17.706॥
जो द्रव्य में एकसमयवर्ती (वर्तमान) अधु्रव पर्याय को ग्रहण करता है उसे सूक्ष्मॠजुसूत्रनय कहते हैं। जैसे सब सत्क्षणिक है।
The fine-Riju-sutranaya (Sukshma – Rijasutra – naya) explains the actual unstable (Adhurva) condition of a substance at a particular instant for example all the words are transient (Kshanik/momentary/fleeting). The naya which grasps the evanescent modes of an enternal substance, is called Rjusutra naya, for example `to say that’ all the sound is momentary’. (706)