कायक्लेश Mortification of Body

 

ठाणा वीरासणाईया, जीवस्स उ सुहावहा।
उग्गा जहा धरिज्जन्ति, कायकिलेसं तमाहियं।।१४।।SSu

 

स्थान चुने एकान्त कठिन, आत्मा को सुहाय।
आसन का अभ्यास करे, कायक्लेश कहलाय॥२.२८.१४.४५२॥

 

पहाड़ गुफा आदि भयंकर स्थानों मे आत्मा के सुख के लिये विविध आसनों का अभ्यास करना काया क्लेश नामक तप है।

 

The “kaya-klesha-tapa” of a saint consists of practising the exercises of postures (such as virasan) in dangerous places like forests, caves etc. exercises, that please the soul. (452)