नैगमनय Non Distinguish Point of View

 

णेगाइं माणाइं सामन्नो-भय-विसेस-नाणाइं।
जं तेहिं मिणइ तो णेगमो णओ णेगमाणो त्ति।।११।।SSU

 

सामान्य, विशेष, उभय हो, नैगम नय का ज्ञान।
विविध रुप जाने उसे, ‘नयिकमान’ भी जान॥४.३९.११.७००॥

 

सामान्यज्ञान, विशेष ज्ञान तथा उबयज्ञान रुप से जो अनेक मान लोक मे प्रचलित है उन्हें जिसके द्वारा जाना जाता है वह नैगम नय है। इसलिये उसे नयिकमान अर्थात विविधरुप से जानना कहा गया है।

 

The figurative stand point (Naigmaa-naya) is that, which explains the various standards of General Knowledge (Samanya-jnan) particular knowledge (visesa-Jnan) and common knowledge (ubhaya-jnan) as are prevalent (current) in universe. That is why, it is also called ‘Nayik-man’ (i.e. knowing in various ways). (700)