अजीव Non-living
– पुद्गल Matter
– धर्म द्रव्य Medium of motion
– अधर्म द्रव्य Medium of rest
– आकाश Space
– काल Time
अजीवकाया धर्माधर्माकाशपुद्गला: ॥१॥TS
धर्म और अधर्म कहा, अजीव जैसी काय।
आकाश और पुद्गल भी, अजीव की पर्याय॥५.१.१६८॥
धर्म, अधर्म, आकाश और पुद्गल ये अजीवकाय है।
Medium of motion (Dharm), medium of rest (Adharm), space and matter are non-soul bodies.
द्रव्याणि ॥२॥TS
धर्म और अधर्म कहा, द्रव्य का ही प्रकार।
आकाश और पुद्गल भी, द्रव्य ही विचार ॥५.२.१६९॥
धर्म, अधर्म, आकाश और पुद्गल ये द्रव्य है।
Medium of motion (Dharm), medium of rest (Adharm), space and matter are substances (dravya).
सुह-दुक्ख-जाणणा वा, हिद परियम्मं च अहिद भीरुत्तं।
जस्स ण विज्जदि णिच्चं तं समणा विंति अज्जीवं।।६।।SSu
सुख दुख जो ना जानता,हित अहित ना ज्ञान।
नित्य रह सकता नहीं, वह अजीव ही जान॥३.३४.६.५९३॥
श्रमण जन उसे अजीव कहते है जिसे सुख दुख का ज्ञान नही होता। हित के प्रति चेतन और अहित का भय नही होता।
The saints call them non-souls, which are not conscious of pleasure and pain; does not know what is beneficial and what is not beneficial. Non-soul can’t live eternal. (593)
अज्जीवो पुण णेओ, पुग्गल धम्मो अधम्म आयासं।
कालो पुग्गल मुत्तो, रूवादिगुणो अमुत्ति सेसा हु।।७।।SSu
पुद्गल, धर्म, अधर्म द्रव्य , अजीव नभ संग काल।
पुद्गल मूर्त रूप गुण है, शेष अमूर्त विशाल॥३.३४.७.५९४॥
अजीव द्रव्य पाँच प्रकार का है – पुद्गल, धर्म द्रव्य, अधर्म द्रव्य, आकाश और काल। इनमें से पुद्गल रुपादि गुण युक्त होने से मूर्तिक है। शेष चारों अमूर्तिक है।
The non souls are of five kinds: 1. Matter; 2. Medium of Rest; 3. Medium of motion. 4. Space; 5. Time; of them matter is corporal (formal), as it has the attributes of form etc. The rest four are noncorporeal. Ajiva should again be known (to be of five kinds): matter (pudgala), motion (dharma) rest (adharma), space (akasa) and time
(kala): matter has form as it has the attributes of colour etc., the rest of them are verily formless. (594)