संयतासंयत Partially Restrained

 

 

जो तस-वहाउ-विरदो, णो विरओ अक्ख-थावर-वहाओ।
पडि-समयं सो जीवो, विरया-विरओ जिणेक्कमई।।८।।SSu

 

विरक्ति हिंसा जीव से, स्थावर का ना त्याग।
जिन-शासन श्रद्धा रहे, देशविरत गुण जाग॥२.३२.८.५५३॥

 

जो त्रस जीवों की हिंसा से तो विरत हो गया है परन्तु एकेन्द्रिय स्थावर (वनस्पति, जल, भूमि, अग्नि, वायु) की हिंसा से विरत नही हुआ है तथा एकमात्र जिन भगवान मे ही श्रद्धा रखता है वह श्रावक देशविरत गुणस्थानवर्ती कहलाता है।

 

One who desists from a killing of the mobile living beings but not from that of the immobile ones and yet who has unwavering faith in Jinas is called (viratavirata or desavirata), i.e., partial observer of vows. (553)