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संलेखना की विधि Process of Passionless Death
स्नेहं वैरं संगं परिग्रहं चापहाय शुद्धमना:।
स्वजनं परिजनमपि च क्षान्तवा क्षमयेत्प्रियैर्वचनै:॥१२४॥
शुद्ध मन से क्षमा करे, शत्रु संगी यार।
ममत्व छोड़ मधुर वचन, सल्लेखना उद्धार॥६.३.१२४॥
शुद्ध मन से स्नेह, वैर व संगी साथी में ममत्व छोड़कर मधुर वचनों से स्व व पर जनों को सल्लेखनाधारी क्षमा करता है।
In Sallekhana one with pure mind, gives up love, hatred and attachment and forgives self and others with politeness.
आलोच्य सर्वमने: कृतकारित मनुमतं च निर्व्याजम्।
आरोपयेन्महाव्रतमामरणस्थायि नि:शेषम्॥१२५॥
कपट रहित आलोचना, पंच महाव्रत पाल।
कृत कारित अनुमोदना, तजे पाप जंजाल॥६.४.१२५॥
सल्लेखनाधारी कृत, कारित व अनुमोदित समस्त पापों को छल कपट रहित आलोचना करके मरणपर्यंत पाँचों महाव्रत धारण करता हैं।
In Sallekhana one criticises self and renounces all sins without duplicity and takes five great vows with krit, karita and anumodana.
शोकं भयं अवसादं क्लेदं कालुष्यं अरतिमपि हित्वा।
सत्तवोत्साहमुदीर्य च मन: प्रसाद्यं श्रुतैरमृतै:॥१२६॥
शोक भय अवसाद नहीं, ज्ञान का रस पान।
राग द्वेष ना रति अरति, शेष नहीं अभिमान॥६.५.१२६॥
शोक, भय, विषाद, स्नेह, राग-द्वेष, अरति को छोड़ कर बल और उत्साह को प्रकट कर शास्त्ररुप अमृत द्वाारा प्रसन्नचित्त मन रखे।
By giving up grief, fear, anguish, attachment, liking and disliking as per his capacity and with enthusiasm and drinks nectar of wisdom with pleasant mind.
आहारं परिहाप्य क्रमश: स्निग्धं विवर्द्धयेत्पानम्।
स्निग्धं च हापयित्वा खारपानं पूरयेत्क्रमश:॥१२७॥
भोज त्याग क्रम से करे, चिकना पेय बढाय।
गर्म जल और छाछ रहे, त्याग बढ़ता जाय॥६.६.१२७॥
क्रम से अन्न आदि आहार को छोड़कर चिकने पेय को बढाना चाहिये फिर क्रम से चिकने पेय को छोड़कर गर्म पानी छांछ आदि को बढ़ाना चाहिए।
In Sallekhana one gives up food in stages and moves from solid food to milk etc and later to hot or spiced water.
खारपानहापनामपि कृत्वा कृत्वोपवासमपि शक्त्या।
पंचनमस्कारमनास्तनुं त्यजेत्सर्वयत्नेन॥१२८॥
गर्म जल भी त्याग करे, अपनाले उपवास।
जाप नवाकर मन्त्र का, क्रम से तन का नाश॥६.७.१२८॥
पश्चात गर्मपानी आदि का भी त्याग करके शक्ति के अनुसार उपवास करे व पूर्णरुप से पंच नमस्कार मंत्र का जाप करते हुए शरीर छोड़े।
Later one gives up water also as per his capacity and leaves body while observing fast and chanting Navkarmantra.
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