अनित्य भावना Reflection of Transitoriness

 

 

जम्मं मरणेण समं, संपज्जइ जोव्वणं जरा-सहियं।
लच्छी विणास-सहिया इय सव्वं भंगुरं मुणह।।३।।SSu

 

जन्म मरण का संग है, वृद्ध व  यौवन यार।
लक्ष्मी संग विनाश है, क्षण भंगुर संसार॥२.३०.३.५०७॥

 

जन्म मरण के साथ जुड़ा हुआ है और यौवन वृद्धावस्था के साथ। लक्ष्मी चंचला है। इस प्रकार संसार मे सब कुछ अनित्य है।

 

The birth is blended with death and youth with oldage (or decay). The Goddess of wealth (Laxmi) is playful (Chanchala/wanton/trekish). Thus, everything in the world is fragile/transitory (Kshana-bhangur/quickly perishable).(507)

 

चउऊण महामोहं सिए मुणिऊण भंगुरे सव्वे।
णिव्वसयं कुणह मणं जेण सुहं उत्तम लहह।।४।।SSu

 

इन्द्रिय विषयक मोह तजे, क्षण भंगुर सब जान।
विषयरहित मन को रखें, उत्तम सुख का भान॥२.३०.४.५०८॥

 

महामोह को तज कर तथा सब इन्द्रिय विषयों को अनित्य जानकर मन को निर्विषय बनाओ ताकि उत्तम सुख प्राप्त हो।

 

Having renounced great delusion/maha-moha) and being conscious of the perishable nature of the subjects of senses (indriya-visaya), make your mind free of sense subjects (Nirvisaya) so that you may attain supreme bless. (508)