इष्ट वियोगज Separation of Wanted
विपरीतं मनोज्ञस्य ॥३१॥TS
इष्ट वस्तु का वियोग हो, वापस की हो चाह।
आर्त ध्यान का भेद है, इष्ट वियोगज राह॥९.३०.३३१॥
इष्ट पदार्थ का वियोग होने पर बार बार उसकी ध्यान करना ‘इष्ट वियोगज’ नाम का आर्त ध्यान है।
On disassociation with liked object focusing again and again on same is called “desirable disassociation’ meditation.