वचन गुप्ति Speech Control
संरंभसमारंभे, आरंभे य तहेव य।
वयं पवत्तमाणं तु, नियत्तेज्ज जयं जई।।३॰।।SSu
समारम्भ या हो सरम्भ या आरम्भ हो काम।
साधु वचन को रोकता, रहता खुद निष्काम॥२.२६.३०.४१३॥
जागरुक साधु सरम्भ (हिंसा का विचार), समारम्भ (हिंसा के लिये सामग्री जुटाना) व आरम्भ (हिंसा आरम्भ करना) करने से प्रवृत्त वचन को रोके।
A careful saint should with hold his speech from including towards the determination (sainrainbha) preparation (samaranibha) and commencement of doing things (Arambha). He should protect (defend) his speech (vacan) in the like manner. (413)