कर्म के कर्ण की १० अवस्थाएँ States of Karma
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बंध Bondage
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उदय Rise
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सत्ता Stay
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उदीर्ण समय से पूर्व उदय Rise before time
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उपशम कुछ समय के लिये निष्क्रिय हो जाना Inactive
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उत्कर्षण – कर्म की फलदान शक्ति व मर्यादा को कुछ समय के लिये बढ़ा देना Increase in
Fruition
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अपकर्षण – घंटा देना Decrease in fruition
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संक्रमण कर्म को अपने सजातीय कर्म में परिवर्तित करना Infection
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निरत्ति – उत्कर्षण अपकर्षण हो सके लेकिन संकीर्ण व उदिर्ण न हो सके Increase or decrease
In Fruition
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निकाचित- उत्कर्षण अपकर्षण संकीर्ण व उदिर्ण न हो सके No change