उत्तम तप Supreme Austerity
विसय-कसाय-विणिग्गह भावं, काऊण झाण-सज्झाए।
जो भावइ अप्पाणं, तस्स तवं होदि णियमेण।।२१।।
मुक्ति विषय–कषाय करे, ध्यान–ज्ञान का साथ।
आत्मा को भावित करे, धरमो तप हो हाथ॥१–९–२१–१०२॥
इन्द्रिय विषयों व कषायों का त्याग कर जो ध्यान और स्वाध्याय में लीन रहता है, उसी के तप धर्म होता है।
Penance (tapa dharma) consists in concentration on the self by meditation, study of the scripture and restraining the senses and passions. (102)