उत्तम सत्य Supreme Truth

 

पर-संतावय-कारण-वयणं, मोत्तूणं स-पर-हिद वयणं।
जो वददि भिक्खु तुरियो, तस्स दु धम्मो हवे सच्चं।।११।।

 

कटु वचन का त्याग करे, सबका हित उद्गार।
धर्म है चौथा भिक्षु का, सत्यधर्म व्यवहार॥१११९२॥

 

जो साधु दूसरों को दुख पहुँचाने वाले वचनों का त्याग करके स्व पर हितकारी वचन बोलता है, उसके चौथा धर्म सत्य धर्म होता है।

 

A monk who avoids all speech that is likely to hurt others and speaks only what is good to himself and to others observes the fourth dharma of truthfulness. (92)

 

सच्चम्मि वसदि तवो, सच्चम्मि संजमो तह वसे सेसा वि गुणा।
सच्चं णिबंधणं हि य, गुणाणमुदधीव मच्छाणं।।१५।।SSu

 

तपसंयम सत में बसे,सत्य गुणों की खान।
मछली सागर में बसे, सत्य सकल गुण स्थान॥११५९६॥

 

सत्य में तप, संयम और शेष सब गुणों का वास है। जैसे समुन्दर मछलियों का आश्रय स्थान है वैसे ही सत्य समस्त गुणों का आश्रय स्थान है।

 

Truthfulness is the abode of penance, of self-control and of all other virtues; truthfulness is the place of origination of all other noble qualities as the ocean is that of fishes. (96)