जीव के प्रकार Type of Soul
– संसारी Transmigrating in universe
– मुक्त Liberated souls
संसारिणो मुक्ताश्च॥१०॥TS
दो प्रकार के जीव है, एक भटके संसार।
मुक्त हुआ जो कर्म से, सिद्ध शिला आधार॥२.१०.४३॥
जीव दो प्रकार के है। संसारी और मुक्त।
Souls are of 2 types. With karm bondage (sansari) and without karm bondage (Mukta).
जीवा संसारत्था, णिव्वादा चेदणप्पगा दुविहा।
उवओग-लक्खणा वि य, देहादेह-प्पवीचारा।।२६।।SSu
जीव है संसारी विमुक्त, दोनों चेतन भाव।
देह नहीं या देह हो, पर उपयोग स्वभाव॥३.३५.२६.६४९॥
जीव दो प्रकार के है – संसारी और मुक्त। दोनों ही चेतना स्वभाव वाले है और उपयोग लक्षणवाले है। संसारी जीव शरीरी होते है और मुक्तजीव अशरीरी।
The souls are of two kinds: 1. Mundane (or impure) souls; and 2. Pure and perfect (Liberated) souls. Consciousness constitutes the nature of both kinds of souls both have the characteristic of attentiveness/attention (upayog). The mundane (impure) souls are embodied and pure souls are bodiless.(649)