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व्रत के प्रकार Type of Vows

 

अहिंसा Non- Violence
सत्य Truth
अचौर्य Non- Stealing
ब्रह्मचर्य Celibacy
अपरिग्रह Non-possessions

 

अहिंसा सच्चं च अतेण्गं च, तत्तो य बंभं अपरिग्गह च।
पडिवज्जिया पंच महव्वयाणि, चरिज्ज धम्मं जिणदेसियं विउ।।१।।SSu

 

सत्य अहिंसा ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह अस्तेय।
पाँच महाव्रत ग्रहण हो, जिन धरम का ध्येय॥२.२५..३६४॥

 

अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य इन पाँच महाव्रतो को स्वीकार करके विद्वान मुनि जिन उपदेश अनुसार धर्म का आचरण करे।

 

A wise monk, after adopting the five great vows of non-violence, truthfulness, non-stealing, celibacy and non-possessiveness, should practise the religion preached by the Jina. (364)

 

प्राणातिपात वितथव्याहार स्तेय काम मूर्च्छाभ्य:।
स्थूलेभ्य: पापेभ्यो वयुपरमणमणुव्रतं भवति॥५२॥RKS

 

हिंसा झूठ चोरी कहा, कुशील परिग्रह पाप।
स्थूल विरक्ति अणुव्रत में, गृहस्थ रखता माप॥३.६.५२॥

 

हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील व परिग्रह इन पापों से स्थूलरुप से विरत होना अणुव्रत हैं।

 

Anuvrat is minor vows form avoidance of violence, lies, stealing, unchastity and possessions.

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