अहिंसाव्रत के अतिचार Violation of Non- Violence
बन्धवधच्छेदातिभारारोपणान्नपाननिरोधा:॥२५॥TS
बंधन वध या छेदन हो, अधिक डाल दे भार।
अन्न जल बाधा डालना, अहिंसा व्रत अतिचार॥७.२५.२६१॥
पाँच अहिंसाणुव्रत के अतिचार निम्न है।
१। बान्धना
२। वध करना या पीटना
३। छेदन भेदन करना
४। अधिक भार लादना
५। अन्न पान में बाधा डालना
Non violation vow have following five violations:
- Binding
- Beating or killing
- Mutilating limbs
- Overloading
- Withholding food and drink
बंध-वह-च्छवि-च्छेए, अइभारे भत्त-पाण-वुच्छेए। कोहाइ-दूसिय-मणो, गो-मणुयाईण नो कुज्जा।।१॰।।SSu
बंद, छेद, पशु बोझ नहीं, ताड़न भोजन मार।
कर्म क्रोध से करे नहीं, मनुज पे हिंसा भार॥२.२३.१०.३१०॥
हिंसा से विरक्त श्रावक को क्रोध आदि कषाय से मन को दूषित करके पशु व मनुष्य आदि का बंधन, ताड़न, पीड़न, छेदन, अधिक भार लादना, खान–पान आदि रोकने का कर्म नही करना चाहिये क्योंकि यह हिंसा ही है। इनका त्याग स्थूल हिंसा विरति है।
One should not tie, injure, mutilate, load heavy burdens and deprive from food and drink any animal or human being with a polluted mind by anger or other passions are the transgression (aticara) of the vow of Ahimsa. (310)