रौद्र ध्यान Wrathful Meditation

 

 

हिंसाऽनृतस्तेयविषयसंरक्षणेभ्यो रौद्रमविरतदेशविरतयो:॥३५॥TS

 

हिंसा, असत्य, चोरी रहे, परिग्रह रौद्रध्यान।
अविरत व देशविरत है, इसका गुणस्थान॥९.३५.३३६॥

 

हिंसा, असत्य, चोरी और परिग्रह के भाव से उत्पन्न आन्न्द से हुआ ध्यान रौद्रध्यान है। अविरत और देशविरत गुणस्थानों में होता है।

 

Cruel concentration relating to violence, untruth, stealing and safeguarding possessions occurs in case upto 5th stage of layman.