प्रमाद Carelessness
– इन्द्रिय ५ Senses
– कषाय ४ Passions
– विकथा ४ Non religious tales
– निद्रा Sleep
– स्नेह Affection
पमायं कम्ममहंसु, अप्पमायं तहाऽवरं।
तब्भावा-देसओ वावि, बालं पंडिय-मेव वा।।५।।SSu
प्रमाद करे, कर्म बँधे, चेतन अकर्म विचार।
अज्ञानी मदहोश रहे, ज्ञानी होश निहार॥१.१३.५.१६४॥
प्रमाद (आलस/ लापरवाह/ मदहोश) में कर्म के द्वार (आस्रव)खुले रहते है और अप्रमाद (सजग, चेतन) को अकर्म (संवर) कहा है। प्रमाद के होने से मनुष्य अज्ञानी होता है और प्रमाद न होने से मनुष्य ज्ञानी होता है।
- Carelessness (pramad/negligence) has been defined as the influx of karmas (Asrava) and carefulness (Aparmad/cautiousness) as the stoppage of the inflow of karmas (sanvar) i.e. carefulness makes one wise. (164)
आदाणे णिक्खेवे वोसरणे णण-गमण-सयणेसु।
सव्वत्थ अप्पमत्तो दयावरो होइ हु अहिंसो।।१॰।।SSu
लेन–देन, मल मूत्र में, चले–फिरे या सोय।
रहें दयालु अप्रमत्त, अहिंसक निश्चित होय॥१.१३.१०.१६९॥
वस्तुओं को उठाने धरने में, मल–मूत्र का त्याग करने मे, बैठने तथा चलने फिरने मे जो दयालु पुरुष सदा सजग (अप्रमत्त) रहता है वह निश्चय ही अहिंसक है।
A compassionate person who is always cautious while lifting and putting a thing, while urinating and excreting, and while sitting, moving and sleeping is really a follower of non-violence. (169)