संक्षिप्त रुचि से ज्ञान लेना To Know in brief
– प्रमाण Comprehensive Knowledge
– नय Particular Point of view
प्रमाणनयैरधिगम: ॥१.६॥TS
सात तत्त्व को जानना, प्रमाण-नय को जान।
द्रव्यार्थिक, पर्यायर्थिक, भिन्न भिन्न नय ज्ञान॥१.६॥
जीवादि तत्त्वों का ज्ञान प्रमाण और नय से होता है।
The knowledge of subjects like right faith etc and 7 substances is attained by means of pramana (comprehensive knowledge) and naya (different point of views).
णाणं होदि पमाणं, णओ वि णादुस्स हिदय भावत्थो।
णिक्खेओ वि उवाओ, जुत्तीए अत्थ-पडिगहणं।।२।।SSU
पंडित ज्ञान प्रमाण है, नय ह्रदय का ज्ञान।
उपाय से निक्षेप है, युक्ति अर्थ पहचान॥१.४.२.३३॥
ज्ञान प्रमाण है। ज्ञाता का मन से जाना अभिप्राय (द्रष्टिकोण) “नय” है। जानने के उपायों को निक्षेप कहते है। इस तरह युक्तिपूर्वक अर्थ ग्रहण करना चाहिये।
Knowledge is Authority (Pramana). The view point of knower is the stand-point (Naya). The ways and means of knowing is verbal/linguistic aspect (Nikshipa). One should understand the implications of elements, in this rational manner. (33)