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अतिथिसंविभाग व्रत के अतिचार Violation of Sharing With Guest Vow
– अतिथिसंविभाग व्रत का अर्थ Meaning of Sharing With Guest Vow
सचित्तनिक्षेपापिधानपरव्यपदेशमात्सर्यकालातिक्रमा:॥३६॥TS
सचित्त भोज न दे न ढके, ना पर वस्तु आहार।
अनादर व काल अनुचित, अतिथि व्रत अतिचार॥७.३६.२७२॥
अतिथिसंविभाग व्रत के ५ अतिचार:
१। सचित्त निक्षेप- सचित्त पत्र में भोजन देना
२। सचित्त अपिधान – सचित्त पत्र से ढके भोजन को देना
३। परव्यपदेश- दूसरे की वस्तु को देना
४। मात्सर्य- अनादरपूर्वक देना
५। कालातिक्रम – योग्य काल का उल्लंघन करके देना।
5 violation of sharing food with guest or monks:
- Serving on green leave
- Covering by green leave
- Serving others food
- Giving with disrespect
- Not giving in right time
अन्न्ईणं सुद्धाणं, कप्पणिज्जाण देसकालजुत्तं।
दाणं जईणमुचियं, गिहीण सिक्खावयं भणियं।।३॰।।SSu
अन्न दान हो शुद्ध रुप से, देश काल अनुसार।
दान यही समझे उचित, गृहस्थ शिक्षा आचार॥२.२३.३०.३३०॥
उद्गम आदि दोषों से रहित, देश व काल के अनुकूल, शुद्ध अन्न आदि का उचित रीति से मुनि आदि संयमियो को दान देना गृहस्थ का अतिथिसंविभाग शिक्षाव्रत है।
A householder who offers pure food etc. to the monks in a proper manner and according to the rules and the needs of place and time, observes the fourth disciplinary vow (called Atithisamvibhaga). (330)
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