एवंभूतनय Actual View Point

 

 

एवं जह सद्दत्थो संतो भूओ तह-न्नहा-भूओ।
तेणेवंभूय-नओ सद्दत्थपरो विसेसेणं ॥23॥SSu

 

एवं यथा शब्दार्थः, सन् भूतस्तदन्य–।
तेनैवंभूतनयः, शब्दार्थपरो विशेषेण ॥23॥

 

रूप वही शब्दार्थ जो, भूत न अविद्यमान ।
एवंभूत-नय कहे उसे, शब्द-अर्थ पहचान ॥4.39.23.712॥

 

एवं अर्थात जैसा शब्दार्थ हो उसी क्रिया द्वारा जो काम करता है उस प्रत्येक कर्म का बोधक अलग-अलग शब्द है और उसी का उस समय प्रयोग करने वाला एवं भूतनय है। जैसे मनुष्य को पूजा करते समय पुजारी और युद्ध करते समय योद्धा कहना।

 

“Evainbhuta-Naya” restricts a name to the very activity which is connoted by the term even (i.e. As it is and “Bhuta” (i.e. which exists) combine to make “Evambhuta” it propounds : it exists as it is; and it dies not exist as it is not. In this stand point the words…