अनिवृत्तिकरण Anivrattini

 

होंति अणिट्टिणो ते, पडिसमयं जेसि-मेक्क-परिणामा।
विमल-यर-झाण-हुयवह-सिहाहिं णिद्दड्ढ-कम्म-वणा।।१३।।SSu

 

सतत एक परिणाम हो, अनिवृत्ति गुणस्थान।
ध्यान ये निर्मल अग्नि शिखा, भस्म कर्म वन जान॥२.३२.१३.५५८॥

 

जिनके निरंतर एक ही भाव होता है वे जीव अनिवृत्तिकरण गुणस्थान (नौवाँ) वाले होते है। ये जीव निर्मलतर ध्यानरुपी अग्निशिखाओं से कर्मवन को भस्म कर देते है।

 

The souls, occupying the ninth stage of spiritual development enjoy the constant mental state (of bliss) each moment and burn down the forest of the karmas through the flames of the fire of a very pure meditation, are called anivrttini (anivrttikarana). (558)