ब्रह्मचर्यव्रत की भावनाएँ Contemplation of Celibacy

 

 

– स्त्रीराग कथा श्रवण Listening of women attached stories

– मनोहर अंग निरीक्षण Looking at parts of women body

– पूर्व भोगे विषयों का स्मरण remembering old memories of enjoyments

– गरिष्ट रसों का सेवन Eating for taste

– शरीर का संस्कार Body enrichment

 

 

स्त्रीरागकथाश्रवण तन्मनोहरांगनिरीक्षणपूर्वरतानुस्मरणवृष्येष्टरस स्वशरूरसंस्कारत्यागा: पञ्च॥७॥TS

 

ना कथा ना अंग दर्शन, नहीं याद संभोग।
इष्ट रस ना स्व प्रशंसा, ब्रह्मचर्य का योग॥७.७.२४३॥

 

स्त्रियों में राग पैदा करने वाली कथा सुनने का त्याग, स्त्रियों के मनोहर अंगों को देखने का त्याग, पूर्व भोगों के स्मरण का त्याग, गरिष्ठ और इष्ट रस का त्याग तथा अपने शरीर के संस्कार का त्याग ये पाँच ब्रह्मचर्य व्रत की भावनायें है।

 

Non-listening of stories which excites attachment for women, looking at beautiful part of bodies of women, remembering earlier sexual pleasures, eating food which arouse sexual desires and adornment of own body are five celibacy vows.