अपरिग्रहव्रत की भावनाएँ Contemplation of Non-Possession Vow

 

मनोज्ञामनोज्ञेन्द्रियविषयरागद्वेषवर्जनानि पञ्च॥८॥TS

 

राग द्वेष का भाव नहीं, अच्छा बुरा ना भान।
इन्द्रिय विषय दूर रहे, अपरिग्रहव्रत जान॥७.८.२४४॥

 

मनोज्ञ और अमनोज्ञ इन्द्रियों के विषयों में क्रम से राग और द्वेष का त्याग करना ये अपरिग्रहव्रत की पाँच भावनायें है।

 

Giving up attachment to likeable objects or aversion for non-likeable objects to five senses constitutes five non-possession vow.