अचौर्यव्रत की भावनाएँ Contemplation of Non-Stealing Vow

 

– शून्यागारवास Living in caves

– विमोचिता वास Living in deserted place

– परोपरोधाकरण

– भैक्षशुद्धि purity of alms

– सधर्म अविसंवाद No arguments with fellow religionists

 

 

शून्यागारविमोचितावासपरोपरोधाकरणभैक्ष्यशुद्धि सधर्माविसंवादा: पञ्च॥१६॥TS

 

रह सुनसान निर्जन जगह, रोक टोक ना जान।
भिक्षाशुद्धि, विवाद नहीं, अचौर्य भाव सम्मान॥७.६.२४२॥

 

जहाँ कोई न रहता हो (शून्यागारावास), किसी ने जगह छोड़ती हो वहाँ रहना (विमोचितावास), दूसरों को ठहरने से नहीं रोकना (परोपरोधाकरण), भिक्षा की शुद्धि और सधर्मियो से विवाद न करना ये पाँच अचौर्य की भावनायें हैं।

 

Living in either lonely place or deserted by someone, causing no hindrance to other, accepting clean and pure food, not having argumentative fight with colleagues in dharma are five non-staling vows.