सत्यव्रत की भावनाएँ Contemplation of Vow About Truth
– क्रोध का त्याग Renunciation of anger
– लोभ का त्याग Renunciation of greed
– भय का त्याग renunciation of fear
– हास्य का त्याग Renunciation of humour
क्रोधलोभभीरुत्वहास्यप्रत्याखानान्यनुवीचिभाषणं च पञ्च ॥५॥TS
क्रोध लोभ भय हास्य का, करता है जो त्याग।
सत्य व्रत की भावना, वचन शास्त्र अनुराग॥७.५.२४१॥
क्रोध लोभ भय और हास्य का त्याग और शास्त्र के अनुसार बोलना ये सत्य व्रत की पाँच भावनायें है।
To observe truthfulness:
- Renunciation of anger
- Renunciation of greed
- Renunciation of fear
- Renunciation of humour
- Speaking as per scriptures
अप्पणट्ठा परट्ठा वा, कोहा वा जई वा भया।
हिंसगं न मुसं बूया, नो वि अन्नं वयावए।।६।।SSu
खुद या ओरों के लिये, भय या क्रोध विचार।
हिंसक असत्य वचन नही, सत्यव्रत का सार॥२.२५.६.३६९॥
स्वयं अपने लिये या दूसरों के लिये क्रोध या भय आदि के वश मे होकर हिंसात्मक असत्यवचन न तो स्वयं बोलना चाहिये और न दूसरों से बुलवाना चाहिये। यह दूसरा व्रत ‘सत्यव्रत’ है।
One should not speak or excite others to speak harmful false words, either in the interest of oneself or of another, through anger or fear. (369)