क्षीणकषाय Passions Are Destroyed

 

 

णिस्सेस-खीण-मोहो, फलिहा-मल-भायणुदय-समचित्तो।
खीण-कसाओ भण्णइ, णिग्गंथो वीयराएहिं।।१६।।SSu

 

स्फटिक पात्र में साफ जल अल्प मोह मन जान।
क्षणिक भाव कटु शेष है, निर्ग्रन्थ गुण स्थान॥२.३२.१६.५६१॥

 

सम्पूर्ण मोह नष्ट हो जाने से जिनका चित्त स्फटिकमणि के पात्र मे रखे हुए स्वच्छ जल की तरह निर्मल हो जाता है उन्हें वीतराग ने क्षीणकषाय निर्ग्रन्थ (बारहवाँ ) गुणस्थान कहा है।

 

The monk whose all delusive karmas are annihilated and whose mind is (clean) like the water placed in a crystal-made vessel is designated ksinamoha and destroys passions by the worthy soul, free from all attachment. (561)