विनय तप के भेद Types of Reverence
ज्ञानदर्शनचारित्रोपचारा:॥२३॥TS
ज्ञानविनय दर्शनविनय, चरित्रविनय पहचान
उपचारविनय जान ले, विनय तप का ज्ञान॥९.२३.३२४॥
विनय तप के चार भेद: ज्ञानविनय, दर्शनविनय, चारित्रविनय, उपचारविनय
Reverence is of 4 types: knowledge, Faith, Conduct, Formality
अब्भुट्ठाणं अंजलिकरणं तहेवासणदायणं।
गुरु-भत्ति-भाव-सुस्सूसा, विणओ एस वियाहिओ।।२८।।SSu
हाथ जोड़ना हो खड़े, उच्चासन फरमाय।
गुरु भक्ति सेवा करे,तप वो विनय कहाय॥२.२८.२८.४६६॥
गुरु व वृद्ध जनों के समक्ष आने पर खड़े होना, हाथ जोड़ना व उन्हें उच्च आसन देना, भक्ति करना व सेवा करना विनय तप है।
To get up at the arrival of an elder to welcome him with folded hands, to offer him (an honoured) seat, to serve him with feeling of devotedness, these constitute humility. (466)
दंसण-णाणे विणओ चरित्त-तव-ओवचारिओ विणओ।
पंचविहो खलु विणओ पंचम-गइ-णायगो भणिओ।।२९।।SSu
दर्शन, ज्ञान, चरित्र, तप, औपचारिकता सार ।
पाँच भेद हैं विनय के, पंचमगति को पार॥२.२८.२९.४६७॥
दर्शनविनय, ज्ञानविनय, चारित्रविनय, तपविनय औरऔपचारिकविनय– ये विनय तप के पाँच भेद है जो मोक्ष की ओर ले जाते है।
Humility is of five kinds; humility in faith, in knowledge, in conduct, in penance and in decorum or etiquette, these lead to liberation, i.e. the fifth state. (467)