तप Austerity
– बाह्य तप Outer austerity
– आभ्यंतर तप Inner austerity
जत्थ कसायणिरोहो, बंभं जिणपूयणं अणसणं च।
सो सव्वो चेव तवो, विससेओ मुद्धलोयंमि।।१।।SSu
रोक पाप, हो ब्रह्मचर्य , जिनपूजन उपवास।
यह सब तप के भाग है, भक्त लोक में वास॥२.२८.१.४३९॥
जहा कषायों का निरोध, ब्रह्मचर्य का पालन, जिनपूजन तथा उपवास आत्मलाभ के लिये किया जाता है, वह सब तप है।
(A) Vahya-tapa (External Austerities) consists of prevention of passions, adoption of celibacy, worshiping and fasting (for the good of self). The devotees particularly adopt such austerities. (439)
सो तवो दुविहो वुत्तो, बाहिरब्भंतरो तहा।
बाहिरो छव्विहो वुत्तो, एवमब्भन्तरो तवो।।२।।SSu
आभ्यांतर व बाह्य है, तप के दोय प्रकार।
दोनों के छह भाग है, अंतर बाह्य विचार॥२.२८.२.४४०॥
तप दो प्रकार का है। बाह्य और आभ्यंतर। बाह्य व आभ्यअंतर तप छह–छह प्रकार के है।
Austerities are of two kinds: 1. External and 2. Internal The external austerities are of six kinds. Similar is the case with internal austerities; it is also of six kinds. (440)