आभ्यन्तर तप Internal Austerities

 

 

– प्रायश्चित Repentance

– विनय Modesty

– वैयावृत्य Selfless service

– स्वाध्याय Self study

– व्युत्सर्ग abandoning passions

– ध्यान Meditation

 

 

प्रायश्चित्तविनयवैयावृत्यस्वाध्यायव्युत्सर्गध्यानान्युत्तरम्॥२०॥TS

 

प्रायश्चित और विनय, वैयावृत्त्य, स्वाध्याय।
व्युत्सर्ग और ध्यान भी, अंतरंग तप ध्याय॥९.२०.३२१॥

 

प्रयश्चित, विनय, वैयावृत्त्य, स्वाध्याय, व्युत्सर्ग और ध्यान ये छह प्रकार के अंतरंग तप है।

 

The 6 internal austerities are as follow:

  • Expiation
  • Reverence
  • Service
  • Study
  • Renunciation
  • Meditation

पायच्छित्तं विणयं वेज्जावच्चं तहेव सज्झायं।
झाणं च विउस्सग्गो, अब्भंतरओ तवो एसो।।१८।।SSu

 

प्रयश्चित और विनय भी, वैयावृत्य स्वाध्याय।
ध्यान और व्युत्सर्ग भी, आभ्यन्तर तप धाय॥२.२८.१८.४५६॥

 

आभ्यंतर तप भी छह प्रकार के है।  प्रायश्चित, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, ध्यान और व्युत्सर्ग।

 

The internal austerities are of six kinds: 
1. Expiation;
2. Reverence;
3. Service of saint (worthy people)
4. Study;
5. Giving up attachment to the body; and
6. Meditation.

 

नवचतुर्दशपञ्चद्विभेदा यथाक्रमम् प्राग्ध्यानात्॥२१॥TS

 

नव चार दस पाँच दो, यथाक्रम है भेद।
ध्यान पहले पाँच तप, आगम का है वेद॥९.२१.३२२॥

 

ध्यान के पहले के पाँच तप के भेद:

  • प्रायश्चित के नौ
  • विनय के चार
  • वैयावृत्त्य के दस
  • स्वाध्याय के पाँच
  • व्युत्सर्ग के दो भेद है।

Prior to meditation these are of nine, four, ten, five and two types respectively.