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सल्लेखना Passionless Death
– संलेखना के प्रकार Types of passionless death
– संलेखना के अतिचार Violations of passionless death
चरे पयाइं परिसंकमाणो, जं किंचि पासं इह मण्णमाणो।
लाभन्तरे जीविय वूहइता, पच्छा परिन्न्य मलावधंसी।।६।।SSu
पग पग संभव दोष रहे साधक रखता ध्यान।
देह लाभ जब नहीं मिले त्याग करे संज्ञान॥२.३३.६.५७२॥
साधक पग पग पर दोषों की संभावनाओं को ध्यान मे रख कर चले। छोटे से छोटे दोषों को भी बंधन समझ कर सावधान रहे। नये नये लाभ के लिये जीवन को सुरक्षित रखे। जब देह से लाभ होता दिखाई न दे तो ज्ञानपूर्वक शरीर का त्याग कर दे।
One ought to undertake every activity with the fear of bondage (i.e., possibilities of bondage) one ought to prolong one’s life in the hope of acquiring ever new gains in the future and at the end, one ought to destroy one’s defilements with prudence. (572)
उपसर्गे दुर्भिक्षे जरसि रुजायां च नि:प्रतीकारे।
धर्माय तनुविमोचनमाहु: सल्लेखनामार्या:॥१२२॥RKS
उपसर्ग व दुष्काल में, बुढ़ापा व बीमार।
तन का त्याग सल्लेखना, गणधर देव विचार॥६.१.१२२॥
गणधरदेव के अनुसार उपसर्ग में, दुष्काल में, बुढापे में व बीमारी में बिना प्रतिकार के शरीर को छोड़ देना सल्लेखना कहलाता हैं।
As per Gandhara, giving up of body due to unavoidable calamity, old age, terminal diseases etc without regret is called Sallekhana.
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