संवर Stoppage of Influx of Karma
– गुप्ति Self control
– समिति Carefulness
– धर्म Righteousness
– अनुप्रेक्षा भावना Contemplation
– परीषह Affliction
– चारित्र Conduct
आस्रवनिरोध: संवर:॥१॥TS
संवर को अब जानिये, कर्म बंध रुक जाय।
आस्रव का ही रोकना, संवर का फल पाय॥९.१.३०२॥
आस्रव का रोकना सो संवर है।
The obstruction of influx is stoppage of karma.
स गुप्तिसमितिधर्मानुप्रेक्षापरीषहजयचारित्रै:॥२॥TS
गुप्ति, समिति, धर्म भी, अनुप्रेक्षा संवर जान।
परीषह जय, चारित्र भी, संवर की पहचान॥९.२.३०३॥
गुप्ति, समिति, धर्म, अनुप्रेक्षा, परीषह जय और चारित्र से संवर होता है।
Stoppage of karma can be achieved in six ways. Self control, carefulness, virtue, contemplation, endurance and conduct.
तपसा निर्जरा च॥३॥TS
तप से भी बंद रहे, बंधन का तूफ़ान।
हो संवर और निर्जरा, तप की ऐसी शान॥९.३.३०४॥
तप से संवर और निर्जरा होती है।
By penance stoppage and shedding of karma is possible.
रुंधिय-छिद्द-सहस्से, जलजाणे जह जलं तु णासवदि।
मिच्छत्ताइ-अभावे, तह जीवे संवरो होई।।१९।।SSu
छेद बंद जलयान में, पानी घुस ना पाय।
मिथ्या आदि जब दूर हो, संवर सुधर वो जाय॥३.३४.१९.६०६॥
जैसे जलयान के हज़ारों छेद बंद कर देने पर उसमे पानी नही घुसता वैसे ही मिथ्यात्व आदि के दूर हो जाने पर जीव मे संवर होता है।
Just as there is no inflow of water in the boat after the thousands of its holes have been plugged, similarly, the wrong faiths being removed, there is the cessation of Karmic influx in the soul (Jiva). (606)