मिथ्यादृष्टि Wrong Belief
तं मिच्छत्तं जम-सद्दहणं, तच्चाण होदि अत्थाणं।
संसइद-मभिग्गहियं, अणभिग्गहियं तु तं तिविहं।।४।।SSu
श्रद्धा ना तत्वार्थ पे, हो ना मिथ्या भाव।
संशयित, अभिगृहित भी, अनभिगृहित स्वभाव॥२.३२.४.५४९॥
तत्तवार्थ के प्रति श्रद्धा का अभाव मिथ्यात्व है। यह तीन प्रकार का है। संशयीत, अभिगृहीत और अनिभगृहीत।
- Wrong belief consists of the absence of faith in elements (tattva). This is of three kinds; 1. Sceptic, 2. Acquired from external sources (Abhigrahita) and 3. An intuitional (Nisargaja/independent of the precept by others).
(549)