घातिया कर्म Destructive Karma

 

 

– ज्ञानावरण Knowledge covering

– दर्शनावरण Faith covering

– अंतराय Obstructive

– मोहनीय Deluding

 

६४-६५ नाणस्सावरणिज्जं, दंसणावरणं तहा।
वेयणिज्जं तहा मोहं, आउकम्मं तहेव य।।९।।SSu

 

नामकम्मं च गोयंच, अंतरायं तहेव य।
एवमेयाइ कम्माइं, अट्ठेव उ समासओ।।१॰।।SSu

 

ज्ञानवरणीय कर्म है, कर्म भी दर्शन जान।
मोह वेदना  में बँधे, आयुकर्म पहचान॥१...६४॥

 

नामकर्म गोत्र भी,कर्मान्तराय समान।
आठ तरह के कर्म है, ऐसा ले लो ज्ञान॥१..१०.६५॥

 

संक्षेप में आठ कर्म इस प्रकार है। ज्ञानवर्णिय, दर्शनवर्णिय, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र और अन्तराय।

 

Feeling (1) jnanavaraniya (knowledge obscuring), (2) Darsanavaraniaya (Apprehension obscuring), (3) Vedaniya (feeling producing), (4) Mohaniya (causing delusion), (5) Ayu (determining the life-span), (6) Nama (physique-determining), (7) Gotra (status determining) and (8) Antaraya (obscuring the power of self). (64-65)