जीव Soul

 

भाव State that distinguishes soul

उपयोग Attentiveness

प्रकार Types

– इन्द्रियाँ Senses

– जन्म Birth

– योनि Birth place

– शरीर Body

– प्राण Life

– लेश्या Coloration

 

परस्परोपग्रहो जीवानाम् ॥२१॥TS

 

अनुकूल प्रतिकूलता, परस्पर हो उपकार।
निमित्त है एक दूसरे, जीव धर्म का सार॥५.२१.१८८॥

 

लौकिक अनुकूलता व प्रतिकूलता में परस्पर निमित्त होना यह जीवो का उपकार है।

 

The benevolence of soul is to help each other.

 

उवओगलक्खणमणाइ-निहणमत्थंतरं सरीराओ।
जीवमरूविं कारिं, भोयं च सयस्स कम्मस्स।।५।।SSu

 

अनादि चेत लक्षण निधन, देह  नहीं है जीव।
कर्ता भोक्ता कर्म का, रूप न रहती नींव॥३.३४.५.५९२॥

 

जीव का लक्षण उपयोग है। यह अनादिनिधन है। शरीर से भिन्न है। अरुपी है। अपने कर्म का कर्ता भोक्ता है।

 

The characteristics of soul is consciousness, eternal, different from the body, formless and is the doer and enjoyer of his karmas. (592)